कथाकार: महेंद्र सिंह धोनी - एक इंसान से मिलने की ख्वाहिश, कैसे सपना बन जाता है !

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महेंद्र सिंह धोनी - एक इंसान से मिलने की ख्वाहिश, कैसे सपना बन जाता है !




१५ साल हो गए आपको देखते हुए, २०११ विश्व कप के बाद दिल में एक अरमान या यूँ कह लीजिये की एक सपना है मेरा आपसे मिलने का।  क्रिकेट की दीवानगी बहुतेरे हर भारतीय वर्ग में मिल जायेगा किन्तु ९० दशक वालों के लिए क्रिकेट एक जूनून है और उस में चिंगारी का काम दादा ने किया और बाक़ी आपने। मैं कितना बड़ा फैन या प्रसंशक हूँ आपका ये मैं भी तय नहीं कर सकता आपके जन्मदिन पर एक छोटा सा मैसेज या एक छोटी सी कविता आपके इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हर बार कर देता था। 
कोशिश करता हूँ की आपके व्यक्तित्व का एक छोटा सा हिस्सा अपने ज़िंदगी में ढाल लूँ ,और आपका Quote "I have always believed that process is more important than results" को फॉलो करूं 

आपके रिकॉर्ड, खेलने का तरीका, ट्रॉफी, शांत स्वभाव का जिक्र मैं बिलकुल नहीं करूंगा, ये जगजाहिर है और लगभग सभी भारतीय को पता है। 

कुछ किस्सा जो सच है, मैं यहाँ साझा कर रहा हूँ कि कैसे "एक इंसान से मिलने की ख्वाहिश,सपना बन जाता है "

मेरे एक पडोसी जो रेलवे विभाग " नरकटियागंज " में कार्यरत थे उनका बेटा "सोनू और विक्रम " रांची में आपके मोहल्ले में ही रहकर पढाई कर रहा था और आपके कुछ दोस्तों को जानते भी थे और एकाध-बार आपके साथ क्रिकेट भी खेले हैं जैसा उन्होंने बताया, वो गाँव आये हुए थे और पहला सीजन था आईपीएल का, तो हमारे गाँव के दोस्तों में चर्चा चल रही थी किस टीम को सपोर्ट किया जाये, हम सब ने मुंबई इंडियंस को सपोर्ट करने का मन बना लिया था सचिन सर के टीम में होने के कारण, लकिन ऐन मौके पर उनका चौक पर बहस में आना और आपके बारे में गुणगान सुनाना और हमसब का आप पर लट्टू हो जाना ( पहली बार का अहसास था ये) और फिर हम सब ने चेन्नई सुपरकिंग्स को सपोर्ट करने लगे तब से अभी तक सिलसिला चल रहा है और चलता रहेगा।  

२०११ विश्व कप में चंदा करके प्रोजेक्टर पर मैच देखना, और जीत जाने पर रोना शायद सभी ने इसे महसूस किया था। 

२०१२ में कॉलेज के लिए अपने अंकल कर आंटी के पास मधुबनी में रह रहा था, आईपीएल स्टार्ट हो गया था और रात को चेन्नई का मैच आने वाला था घर में टीवी पर सीरियल चल रहा था, तो बाजार जाकर सड़क पर खड़े होकर पूरा मैच देखा और घर आकर ये झूट बोला की दोस्त के साथ पढ़ रहा था, ( ये झूट कोई बड़ी झूट नहीं थी )  किन्तु हर बार तो ये नहीं बोल सकता था, जिस दिन भी चेन्नई का मैच होना था, गाँव आ जाता था लेकिन गाँव में घर में टीवी था नहीं और अड़ोस - पड़ोस में टीवी थी तो लाइट जाने की समस्या तो फिर दोस्तों के साथ गाँव से लगे हाईवे पर बने लाइन होटल पर सभी मैच देखा करता था। 

दिल्ली में आने के बाद, स्टेडियम में आपको देखने की लालसा थी, न्यूज़ीलैण्ड के साथ कोटला में टी-२० मैच का टिकट कराया और दोस्त के साथ पहुंच गया मैच देखने, पूरे मैच के दौरान लाखों के संख्या में धोनी-धोनी का शोर हो रहा था, उसमें से एक मैं भी था, होर्डिंग लिख के ले गया था " MAHI MAAR RAHA HAI " की शायद आप होर्डिंग पढ़ के एक नजर देख लें ! आप को पहली बार आँखों से देखा और आकर रात भर ख़ुद से बातें की कि आपसे मिलने पर हम क्या-क्या बातें करेंगे। 

दोबारा पहुँचा आपको स्टेडियम में देखने १ November २०१७ को इस उम्मीद में कि नेहरा जी रिटायर्ड होंगे और आप स्टेडियम के राउंड लगाने आओगे तो नजदीक से देख पायेंगे,आवाज लगाने पर शायद आप एक बार मुड़ कर देख लें, इसबार होर्डिंग का आईडिया पीछले २ दिन से बना रहे थे की कुछ क्रिएटिव लिख के ले जायेंगे, दोस्तों ने खूब मजाक भी बनाया, एक शायरी लिखी नेहरा जी के रिटायरमेंट पर, आपने तो नहीं देखा किन्तु कोहली, पंड्या और धवन ने पढ़ा और थम्ब्स अप किया, आप चलते चले गए जैसे मैंने पहले ही सोच लिया था, ये "धोनी " को जानने वाले सोच लेते हैं। 


मैच के दौरान आपके कई फैसलों पर दोस्तों के साथ बहस होता था और मैं आपके लिए सभी  फैसलों में पक्ष में खड़ा होता था, और फैसला सही हो जाने पर, मैच जीत जाने पर दोस्तों से कहता " अब बताओ " से लेकर 
कई अनगिनत यादें और किस्सा जो सिर्फ मैच तक सिमित नहीं रह पाया वो दिल में घर कर गया, आप पर  बायोग्राफी आने से पहले तक हम " महेंद्र सिंह धोनी " को हीरो मान चुके थे और अपने हीरो से मिलने की सपना भला कौन नहीं देखता है ! ....क्रमश:

आपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें, ईश्वर आपको लम्बी उम्र दें !



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