कथाकार: July 2017

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उम्र छोटी है, ये जान लो (Title By Vivek Jha , Written by Kundan)

फ़ादर्स डे स्पेशल

Shayri-15

ख़ता ऐसा करूँ इश्क़ में, की मेरे जाने के बाद
सज़दे में, वो रोज नदामत  करे ..
नदामत=ग्लानि, पछतावा

Shayri-14

उम्र भर का तराशा ज़ब्त-ए-शराफत ,
किसी महरूम के हाथों का तमाशा बन गया,

Shayri-13

सच है क्या ?मुस्कुराने लगा हूँ ,तन्हा में मैं?!!
या मेरे आईने खुशमिजाज हो गए!!

Shayri-12

उलूल-जुलूल हरक़तें ,सब याद आई ख़ल्वत में।
कभी जीते थे बेपरवाह ज़िंदगी,अब जीते है उल्फ़त में।

Shayri-11

किस रात की क़यामत हो तुम,
ऐसा चाँद कहाँ से आया आसमाँ में,...

Shayri-10

खपा है मेरे शहर के बारिश भी अब की बार,
मेरी आँखें बरस गए, उसके बूंदों से ज़्यादा अबकी बार।

Shayri-09

मझदार में डूबा ए ज़िंदगी मुझे ...
यूँ किनारों पे डूबना मुनासिब नहीं मुझे।

Shayri-08

हर शख्श गुनाहगार है,
रात इतनी काली है, सबका गुनाह छुपा लेती है

Shayri-07

ढकोसले हैं सारे उसूल इस ज़माने में
तोड़कर सारे उसूल, जाँ हाजिर है हर्जाने में..

Shayri-06

लब चुप हैं सब के ,
शहर में किस्सा, शोर किसका है?!

Shayri-05

सब के हिस्सों में लफ़्ज बराबर के है,
कुछ का कहानी बना, कुछ का बिखर गया..

Shayri-04


बेगाने मौसम में क्या बहार आई,?!
दिल के अरमाँ,भवरों सा भटक रहा..!

Shayri-03

काली मिर्च सी तीख़ी थी वो,
घूँघट में,शहद की मिसाल बन गईं।

Shayri -02

हड़बड़ी है घर जाने की मुझे,
मेघ से ज्यादा, चिंता छा गए जहाँ में मेरे भीग जाने की।

Shayri-01

कुबेर के ख़ज़ानों को लूट कर ,
तू कब धनवान बना?
क़त्ल में शामिल हैं-वादे,भरोसे,ईमान,इंसान
तब जा के तू महान बना

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