कथाकार: April 2020

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शायरी - डाकिया



तुम ये न समझना हम तुमसे ख़फ़ा बैठे है
चिट्ठियां  लिख डाली है डाकिया घर बैठे है। 




दंगा - शेर-शायरी


Copyright :कुंदन चौधरी 


फ़ोटो साभार : Google 

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