एहतियात भी है सवाल भी है!
इश्क़ मतलब का था मलाल भी है।
लुटाता था अशरफ़ीयाँ हुस्न पर,
आज हैसियत मेरा कंगाल भी है।
मैं सोचता हूँ उसके बारे में अब भी,
दिल कमबख्त़ भी है बेहाल भी है।
तुम भी कहाँ सीधे रास्ते पे हो,
आईने के बाद सामने तुम्हारे जाल भी है।
खुद में ही मसरूफ़ रहो दोस्तों,
इश्क़ सुकूँ है तो जी का जंजाल भी है।