तुम और रेलगाड़ी
तुम देखना मुझे गुज़रते हुए ट्रेन की खिड़कियों से
मैं खाली पड़ी ट्रेन की एक उदास बोगी कि तरह
कहीं स्टेशन पर बैठा मिलूँगा।
तुम देखना जैसे पत्थर दबा होता हैं पटरियों के नीचे
वैसे ही मेरे सीने में दबा हुआ है तुम्हारी कई यादें।
तुम देखना तुम्हारा हाथ थामे युवक ट्रेन की शोर से
हाथ छोड़ मूँद लेगा अपना कान।
तुम देखना उसी शोर में मैं तुम्हारी धड़कन सुन लूँगा
जैसे स्टेशन पर खाली पड़ी एक बोगी
हर रोज सुन लेता है गुज़रते हुए इंजन की धड़कन।
तुम देखना ध्यान से एक खाली पड़ी ट्रेन की बोगी
एक उदास प्रेमी जैसा दिखता है।