कथाकार: पलायन -कविता

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पलायन -कविता




पलायन - 






  कुछ दिनों में

  हम सब ये मान लेंगे।
  समय से ज़्यादा,चलायमान होता है
  ग़रीब आदमी का पाँव।




































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