कथाकार: कमाने गए लड़के - कविता

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कमाने गए लड़के - कविता

कमाने गए लड़के - कविता 


शहर को अलविदा करते हुए
तुम्हारे साथ बिताए सारे लम्हों 
को गठरी में बाँध ली है।

मैं उन यादों की गठरी को
गाँव के स्टेशन पर खोल दूँगा।

शहर जाते हुए लड़के
उन यादों को देखे और
समझ लें की शहर से 

गठरी में मिठाइयाँ लाई जाती हैं।
नाकाम इश्क़ की यादें नहीं !

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