मिट्टी जो मंदिर, मस्ज़िद और मीनारों
के निचे दबी होती है
उस मिट्टी को इंसान अपने
मस्तिष्क पर लगाता हैं।
मिट्टी जो अपने कोख़ से
अन्न पैदा करती है
अपने भीतर लाशों को दफ़न करती हैं,
उस मिट्टी की सौदा करता है इंसान।
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