कथाकार: तो लगता है धोखा है!! - Women Day Special

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तो लगता है धोखा है!! - Women Day Special


तो लगता है , सब धोखा है!!




साड़ी में जब किसी लड़की को देखता हूँ,
तो लगता है धोखा है!!

वो बदन ढकने को नहीं,
ज़माने के नग्न विचारों को ढकती है, पर्दा करती है । 
हिरे-ज़ेवरात जो नुमाइश के लिए रखे जाते है 
दूकानों में,उन्हें खुद पे नाज होता है ,
की उनके ख़ूबसूरती को ढंका नहीं जाता ,
उनके आजदी पे बोलने वाला कोई  समाज नहीं होता।
औऱ जब शिशे में क़ैद,कोई नग्न लड़की का पुतला देखता हूँ,

तो लगता है धोखा है!!

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