कश्मीर की कली
हसरतें अभी कुछ नहीं ,
नींद से भौचंक उठा ,
सपनों में एक वाक़या हुआ ,
उस दिन काले बुर्के में ,
ग़ुलाब वाले हाथ,
दो लाल चूड़ियां पहने ,
पत्थर चुन रहीं थी।
मेरे जवानो के लहू
बहाने को।
कैसे मान लूँ ?
कश्मीर नायब हैं !
खूबसूरत है !!
घटी के मोहतरमा ,
आप इश्क़ करना सिख लो ,
हम बेवफ़ाई का दर्द झेल लेंगे ,
अब पत्थर का दर्द चुभता है।