उलूल-जुलूल हरक़तें ,सब याद आई ख़ल्वत में।
कभी जीते थे बेपरवाह ज़िंदगी,अब जीते है उल्फ़त में।
कभी जीते थे बेपरवाह ज़िंदगी,अब जीते है उल्फ़त में।
" हिंदी कविता, ग़ज़ल, कहानी, का संगम। शब्दों के माध्यम से प्रेम, भावनाओं और कल्पनाओं की दुनिया में आपका स्वागत है।"